जो दिल रखते नहीं उनको मुहब्बत हो नहीं सकती
फरिश्तों के मुकद्दर में ये दौलत हो नहीं सकती
मुझे डॉलर से बढ़कर अपनी मिट्टी से मुहब्बत है
परस्तारे-वतन हूँ, मझ से हिजरत हो नहीं सकती
महाभारत हो, करबल हो, यही पैगाम देते हैं
कभी नेकी बदी के बीच बैअत हो नहीं सकती
ये फित्नाकार जितना चाहें उतनी कोशिशें कर लें
कयामत से मगर पहले कयामत हो नहीं सकती
वो जन्नत की गली हो या कोई दीगर हसीं शय हो
मेरे भारत से बढ़कर खूबसूरत हो नहीं सकती
वतन की आबरू जिनको नहीं है जान से प्यारी
कभी सीमाओं की उनसे हिफाजत हो नहीं सकती
ये गूंगापन, ये सजदे, बेड़ियाँ और रेंगते रहना
मैं कैसे मान लूँ यारो बगावत हो नहीं सकती
पड़ोसी के फ़राइज़ गर मयंक अपनाएं हम दोनों
उन्हें हमसे, हमें उनसे शिकायत हो नहीं सकती
Bahut Khub...bhai kamaal ke sher hai..
जवाब देंहटाएंdil chu liya..badhayi..ho..
behad sundar abhiwyakti .......badhaayi
जवाब देंहटाएंमयंक जी,
जवाब देंहटाएंयों तो मैं पहले से ही आपका कायल रहा हूँ........
लेकिन आज की ग़ज़ल ने तो गज़ब कर दिया........
हर शे'र खूबसूरत
हर शे'र मरहबा........
phrishton ki kismat mein ...........
जवाब देंहटाएंaahaaaaaaaaaa kya baat kahi hai
aaj pahli baar aapki gazal padhi aur
bus deewane ho gaye aapke shabdon mein jaadu hai
kahan kamaal
aur soch to bus .........
bahut khoob sir
बहुत खूबसूरत शेर हैं
जवाब देंहटाएंग़ज़ल दिल को छु गयी
सुंदर बहुत सुंदर
Puja