हम किसे अपना बनायें शाम ढल जाने के बाद
हाले दिल किसको बतायें शाम ढल जाने के बाद ।
क्या करें जब दिल के अरमानों को सुलगाती हैं ये
उनके कूचे की हवायें शाम ढल जाने के बाद ।
जब भी मुड़ कर देखता हूँ कुछ नजर आता नहीं
कौन देता है सदायें शाम ढल जाने के बाद।
उगते सूरज की इबादत की जिन्होंने उम्र भर
जश्न वह कैसे मनायें शाम ढल जाने के बाद ।
बज्म में वह माहरू जब बेनकाब आने को है
किसलिए दीपक जलायें शाम ढल जाने के बाद।
चूमता हूँ मैं नये अशआर अपने यूं 'मयंक'
चूमे ज्यों बच्चों को मायें शाम ढल जाने बाद।
बहुत सुन्दर मयंक जी। वाह।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail
ek khubsoorat ehsaas ko motiyo ka jama pahnaya hai
जवाब देंहटाएंkisliye dipak jalaayen shaam dhal jaane k baad .....
जवाब देंहटाएंwaah waah
ghazal mubaraq !
बहुत उम्दा किस्म के शेरों के लिये आपकी बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन गजल है
उगते सूरज की इबादत की जिन्होंने उम्र भर
जश्न वह कैसे मनायें शाम ढल जाने के बाद ।
ये शेर ख़ास पसंद आया
वीनस केसरी
बहुत सुन्दर गज़ल है।बधाई।
जवाब देंहटाएंkya bat he....kya baat he kya baat he..sb dunaya se alag duniya he ye..gazals shayri...kvitaaye..wow...adbhut sansaar he..yaar
जवाब देंहटाएंउगते सूरज की इबादत की जिन्होंने उम्र भर
जवाब देंहटाएंजश्न वह कैसे मनायें शाम ढल जाने के बाद ।
..gjab...wonderful..jiyo yaar..or mdhushala esa hi piyo.