बुधवार, 10 जून 2009

ग़ज़ल 25

ग़ज़ल के वास्ते लहजा नया तलाश करो
नयी रदीफ़ नया काफिया तलाश करो।

हर इक जुबां में ग़ज़लें कही -सुनी जाएँ
सुखन की दोस्तों ऐसी फिजा तलाश करो।

नयी गजल में नया रंग डालने के लिए
नयी जमीन नया जाबिया तलाश करो।

किसी जबां की बपौती नहीं है सिन्फ़-ऐ-गजल
न माने बात ये ,वो माफिया तलाश करो।

गजल से रंग-ऐ-तगज़्ज़ुल कहीं मिट न जाए
गजल गजल में गजल की अदा तलाश करो।

गजल के रंग में कुछ हुस्न-ऐ-आगही डालो
तो फ़िर गजल में तुम अपनी, खुदा तलाश करो।

अदब समाज की किस्मत बदल भी सकता है
गजल पे चल के नया रास्ता तलाश करो।

गजल से देश में गर इन्कलाब लाना है
अदब में फ़िर कोई बिस्मिल नया तलाश करो।

कि जिसको पढ़ते ही मिट जाएँ सारे दर्दो अलम
'मयंक' ऐसा गजल में नशा तलाश करो।

2 टिप्‍पणियां:

  1. गजल से रंग-ऐ-तगज़्ज़ुल कहीं मिट न जाए
    गजल गजल में गजल की अदा तलाश करो।

    बहुत उम्दा किस्म के शेरों के लिये आपकी बधाई...
    बहुत बेहतरीन गजल है

    वीनस केसरी

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