मत किसी का बुरा कीजिये
हो सके तो भला कीजिये।
है मरज़ इश्क का लादवा
मेरे हक में दुआ कीजिये ।
ये मुहब्बत भी क्या खूब है
बेवफा से वफ़ा कीजिये।
लोग जिसको मिसाली कहें
कोई ऐसी खता कीजिये।
अक्ल को दख्ल देने न दें
दिल कहे वह कहां कीजिये ।
साफगोई बजा है मगर
क्यों किसी को खफा कीजिये।
जो लगाये बुझाए 'मयंक'
उससे बचकर रहा कीजिये।
साफगोई बजा है मगर
जवाब देंहटाएंक्यों किसी को खफा कीजिये।
बहुत खूब शेर कहा है मयंक साहेब...पूरी ग़ज़ल ही आसान लफ्जों में गहरी बातें कर जाती है...दाद कबूल करें
नेर्राज