क़र्ज़ क्या है, भीख भी इसको गवारा है मियाँ
ख्वाहिशों ने इस कदर इन्सां को मारा है मियाँ
दोस्त कहके हमने जिसको भी पुकारा है मियां
बस उसी ने पीठ में खंजर उतारा है मियां
वो वतन पर मिट गए और ये मिटा देंगे वतन
जानते हो किस तरफ़ मेरा इशारा है मियां
दूर तक पानी ही पानी है मगर प्यासे हैं लोग
जिंदगी खारे समंदर का नज़ारा है मियां
वह फ़क़त दो गज ज़मीं में क़ैद होकर रह गया
जो ये कहता था कि ये सब कुछ हमारा है मियां
जो मनाये खुल के खुशियाँ दुश्मनों की जीत पर
वो हमारा हो के भी दुश्मन हमारा है मियां
दूर कितनी भी हो मंजिल तुमको जाना है 'मयंक'
फिर किसी ने प्यार से तुमको पुकारा है मियां
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