अंधेरों में कमी देते नहीं हैं
चिराग अब रोशनी देते नहीं हैं
नसीमे सुबह के भी नर्म झोंके
चमन को ताजगी देते नहीं हैं
फ़क़त आता है इनको क़त्ल करना
ये कातिल जिंदगी देते नहीं हैं
हमें मालूम हैं उल्फत के लम्हे
सुकूने जिंदगी देते नहीं हैं
अमीरों के दरे दौलत पे जाकर
कभी हम हाजिरी देते नहीं हैं
हमारे हौसलों की दाद वह भी
कभी देते, कभी देते नहीं हैं
बदलते मौसमों के बदले तेवर
ख़बर तूफ़ान की देते नहीं हैं
वो क्या बाँटेंगे अपनी मुस्कराहट
जो औरों को खुशी देते नहीं हैं
न जाने क्यों 'मयंक' अब दैरो-काबा
पयामे आश्ती देते नहीं हैं
बदलते मौसमों के बदले तेवर
जवाब देंहटाएंख़बर तूफ़ान की देते नहीं हैं
बहुत लाजवाब मयंक जी.
रामराम.