शनिवार, 23 मई 2009

गजल- 19

मैं ने कहा हो जलवागर, उसने कहा नहीं नहीं
मैं ने कहा मिला नजर, उसने कहा नहीं नहीं

मैं ने कहा ये शाम है, उसने कहा ये जाम है
मैं ने कहा तो जाम भर, उसने कहा नहीं नहीं

मैं ने कहा कहाँ मिलें, उसने कहा जहाँ कहें
मैं ने कहा कि बाम पर, उसने कहा नहीं नहीं

मैं ने कहा कि रुख इधर, उसने कहा, है चश्म तर
मैं ने कहा कि सब्र कर, उसने कहा नहीं नहीं

मैं ने कहा कि हो नजर, उसने कहा कहाँ, किधर
मैं ने कहा मयंक पर, उसने कहा नहीं नहीं

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