वक्त की रफ्तार को रखिये पकड़ कर हाथ में
और फिर कहिये कि है अपना मुकद्दर हाथ में
अब तुझे कोई बचा सकता नहीं ऐ संगदिल
आ रहे हैं आइने अब लेके पत्थर हाथ में
बंद मुट्ठी लाख की है तो भला बतलाइए
क्या छुपा रक्खा है यह मट्ठी के अंदर हाथ में
ऐ हवसकारो, जरा देखो तो आँखें खोल कर
ले गया क्या लेके आया था सिकन्दर हाथ में
नफरतों की राह पर यूंही अगर चलते रहे
कुछ न आएगा तुम्हारे जिंदगी भर हाथ में
बैठ कर साहिल पे क्यों चुनता है कंकर ऐ मयंक
डूबने वालों के ही आते हैं गौहर हाथ में
सुन्दर गजल,
जवाब देंहटाएंऔर पूरी गजल बहर में लगी, हार्दिक बधाई
वीनस केसरी