न होते हौसले तो रास्ते यूँ सर नहीं होते
उडानें भरने वाले दिल के लेकिन पर नहीं होते
खुदा आँखें तो देता है मगर ऐसा भी होता है
कि उनके देखने के वास्ते मंजर नहीं होते
हंसी में भी कभी आंखों में आंसू झिलमिलाते हैं
मैं रोता हूँ मेरी आंखों के गोशे तर नहीं होते
समन्दर में अगर मैं डूबने से डर गया होता
यकीनन मेरे हाथों में कभी गौहर नहीं होते
इरादों में कभी भी इन्कलाब आने नहीं पाता
अगर कुछ वलवले दिल के मेरे अन्दर नहीं होते
कभी ऐ ताजिरों, इस बात पर भी गौर फरमाया
कि वो कैसे रहा करते हैं जिनके घर नहीं होते
मयंक उस तीरगी में डूब जाता यह जहाँ सारा
अगर महफिल में बेपर्दा वो जलवागर नहीं होते
समन्दर में अगर मैं डूबने से डर गया होता
जवाब देंहटाएंयकीनन मेरे हाथों में कभी गौहर नहीं होते
वाह मयंक जी। बहुत खूब।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
कभी ए ताज़िरों इस पर भी गौर फर्माना
जवाब देंहटाएंकि कैसे रहा करते हैं जिनके घर नहीं होते
बेहतरीन गज़ल आभार्